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IDMC Limited

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Engineering Services

Vithal Udyognagar, Gujarat 14,792 followers

About us

Established in 1978, IDMC has emerged as a front-runner in the manufacture and supply of complete range of equipment for application in dairy, pharma, beverage, brewery and thermal management as well as packaging industries. The company's more than four decades of proven expertise, backed by six most modern manufacturing units and a qualified and trained manpower has positioned IDMC as a trusted single-roof solution provider together with automation, equipment design and manufacture right up to installation and commissioning.

Industry
Engineering Services
Company size
501-1,000 employees
Headquarters
Vithal Udyognagar, Gujarat
Type
Privately Held
Founded
1978
Specialties
Turnkey Project Execution, Dairy, Process optimisation and tank and vessle fabricationn and end to end solution for any FMCG project, Cattle Feed Plants, Beverage, Brewery, Thermal Management System, Packaging, and Pharmaceuticals

Locations

  • Primary

    Plot No. 124-128, GIDC Estate

    Vithal Udyognagar, Gujarat 388121, IN

    Get directions

Employees at IDMC Limited

Updates

  • At the 51st Dairy Industry Conference, themed ‘Indian Dairying – Global Growth; Local Strength’, organized by the Indian Dairy Association from March 6-8, 2025, at Patna, the dairy sector witnessed an engaging exchange of ideas shaping its future. Mr. Rajkumar Malik, Executive Director of IDMC Limited, participated in the esteemed CEO Meet panel discussion, sharing his insights and vision for the Indian dairy industry on the theme of the conference. The panel featured prominent industry leaders, including Dr. Amit Vyas, Managing Director of Amul Dairy, Mr. Rahul Kumar Srivastava, COO of Parag Milk Foods, Mr. Jaidev Biswas, MD of Jharkhand Milk Federation and Mr. Rupesh Raj, MD of Patna Dairy with Mr. Kuldeep Sharma, Chief Thinking Officer at Suruchi Dairy Advisor, moderating the discussion. IDMC showcased its advanced milking systems, 3A certified pneumatic seat & mixproof valves, and pumps, UHT steriliser, Aseptic tank and continuous khoa making machine at the concurrent exhibition, highlighting its commitment to innovation in dairy technology. IDMC was honoured by the presence of distinguished guests, including Shri S.P. Singh Baghel, Honourable Minister of State for Fisheries, Animal Husbandry, and Dairying, Govt. of India of India, Ms. Alka Upadhyaya, Secretary, DAHD and Ms. Varsha Joshi, Additional Secretary DAHD at the IDMC booth.

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    माननीय केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ( Ministry of Cooperation ), श्री अमित शाह जी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर आयोजित कार्यशाला में माननीय केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह जी, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल जी एवं श्री जॉर्ज कुरियन जी की गरिमामयी उपस्थिती में ‘सहकार से समृद्धि’ के विज़न को चरितार्थ करते हुए, देश भर के विभिन्न दुग्ध महासंघों/ संघों द्वारा एनडीडीबी के साथ समझौता ज्ञापन किया। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के सहयोग से एनडीडीबी के नेतृत्व में गोबर को ऊर्जा और उर्वरक के एक प्रमुख संसाधन के रूप में प्रोत्साहित किया जा रहा है और एनडीडीबी द्वारा बायोगॅस/ गोबर प्रबंधन के लिए कई मॉडल्स विकसित किए गए है: • किसानों के घर पर रसोई गैस और स्लरी/ उर्वरक के लिए जकरियापुरा मॉडल • डेयरी संचालन हेतु ऊर्जा और ओर्गेनिक उर्वरक के लिए वाराणसी मॉडल • केंद्रीकृत बायो-CBG के उत्पादन और ओर्गेनिक उर्वरक के लिए बनास मॉडल 15 राज्यों के विभिन्न दुग्ध महासंघों/ संघों के साथ कुल 25 समझौता ज्ञापन निष्पादित किए गए जिनके माध्यम से जकरियापुरा (विकेन्द्रीकृत), वाराणसी (केंद्रीकृत बायोगैस) और बनास (बायो-CBG) मॉडल को डेयरी क्षेत्र के सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलैरिटी के लिए आगे ले जाया जाएगा और कई विकेंद्रीकृत और केंद्रीकृत बायो गैस संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। यह एक बहुआयामी पहल हैं जिसके कई लाभ हैं- किसानों को रसोई गैस, स्लरी के खेतों में उपयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, गोबर/ स्लरी की बिक्री से किसानों को अतिरिक्त आय, ओर्गेनिक उर्वरक, और साथ ही साथ पर्यावरण की सुरक्षा।

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    एनडीडीबी और नाबार्ड के मध्य डेयरी क्षेत्र में सतत् और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी (Ministry of Cooperation ) और माननीय केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह जी उर्फ ललन सिंह जी , पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल जी एवं श्री जॉर्ज कुरियन जी की गरिमामयी उपस्थिति में “डेयरी सेक्टर में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी” पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान, एनडीडीबी और नाबार्ड के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन किया गया। एनडीडीबी के प्रबंध निदेशक डॉ Meenesh Shah और नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के वी ने इस किसानोन्मुख समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत, सस्टेनेबल डेयरी को बढ़ावा देने के लिए हरित वित्तपोषण (green financing) के माध्यम से डेयरी सहकारिताओं को सहयोग दिया जाएगा ताकि जलवायु अनुकूल डेयरी के साथ साथ ओर्गेनिक उर्वरक और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास किया जा सके। तकनीकी, नवोन्मेषी वित्तीय और कार्यान्वयन सहायता से डेयरी सेक्टर में सतत् और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा और नीतिगत कार्यान्वयन से डेयरी पारिस्थितिकी तंत्र और सुदृढ़ होगा।

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    माननीय केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जी ने ‘डेयरी सेक्टर में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी’ पर दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र के दौरान , माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री (Ministry of Cooperation ) श्री अमित शाह जी की गरीमामयी उपस्थिति में कार्यशाला को संबोधित किया। माननीय मंत्री जी ने कार्यशाला के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए सर्कुलरिटी को बढ़ावा देने वाली रणनीतियों की रचना पर ज़ोर दिया, जिससे डेयरी किसानों को गोबर प्रबंधन सहित अन्य सतत उपायों को अपनाकर अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर प्राप्त हो सके। उन्होंने ठोस कार्ययोजना के लिए वित्तीय सहायता, तकनीक और नीतिगत ढांचे की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने एनडीडीबी द्वारा प्रोत्साहित खाद मूल्य श्रृंखला एवं विभिन्न बायोगैस मॉडलों के सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित किया और वाराणसी मॉडल की सराहना भी की, जिससे किसान गोबर की बिक्री से अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। इस मॉडल में बायोगैस को थर्मल और विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर डेयरी संयंत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है, जिससे पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान भी होता है। साथ ही, स्लरी-आधारित ऑर्गैनिक उर्वरकों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया, जो मिट्टी की गुणवत्ता में सुधारने और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने में सहायक हैं। उन्होंने भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय की "श्वेत क्रांति 2.0" पहल की सराहना की, जिसका उद्देश्य M-PACS और M-DCS की स्थापना एवं सुदृढ़ीकरण के माध्यम से संगठित डेयरी क्षेत्र से अधिक किसानों को जोड़ना और ग्रामीण आजीविका को बेहतर बनाना है। उन्होंने कार्यशाला के संभावित परिणामों को लेकर आशा व्यक्त की, जिससे डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी को नई गति मिलेगी।

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    'डेयरी सेक्टर में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलेरिटी' पर राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 की नींव “सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलेरिटी” पर ही आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का डेयरी क्षेत्र देश में पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने, भारत को विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाने और भूमिहीन एवं छोटे किसानों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी को अब भी पूर्ण रूप से साकार किया जाना बाकी है। उन्होनें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की चर्चा करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग किए बिना यह लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने गाँवों मे ही ‘फार्म टू फैक्ट्री’ मूल्य श्रृंखलाओं के विस्तार पर भी बल दिया, जिससे ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा मिलेगा और पलायन रोकने में मदद मिलेगी । माननीय मंत्री जी ने एनडीडीबी द्वारा प्रोत्साहित बायोगैस और खाद प्रबंधन मॉडलों को बड़े पैमाने पर, सहकारी क्षेत्र के माध्यम से, लागू करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और कार्बन क्रेडिट को सहकारी मॉडल का हिस्सा बनाने पर भी बल दिया, जिससे किसानों को इसका सीधा लाभ मिल सके। माननीय अमित शाह जी ने श्वेत क्रांति 2.0 के मूल सिद्धांतों-‘सहकार से शक्ति, सहकार से सहयोग, सहकार से समृद्धि’ को रेखांकित करते हुए कहा कि हर ज़िले को किसी दुग्ध संघ और हर गाँव को किसी सहकारी समिति से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने सहकारी समितियों की विशेषता बताते हुए कहा कि यह ‘Profit for People’ के सिद्धांत पर कार्य करती हैं, जिसके तहत उपभोक्ता से मिलने वाले हर रुपये का 75 प्रतिशत सीधे किसानों तक पहुंचता है। उन्होंने भारत के डेयरी क्षेत्र को आत्मनिर्भर, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और सतत रूप से विकसित करने के लिए सभी हितधारकों से मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।

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    माननीय केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ( Ministry of Cooperation ) श्री अमित शाह जी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर आयोजित कार्यशाला में माननीय केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह जी, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल जी एवं श्री जॉर्ज कुरियन जी की गरिमामयी उपस्थिती में आज डेयरी सर्कुलरिटी के लिए डेयरी क्षेत्र में खाद (गोबर) मूल्य शृंखला मॉडल संबंधी मार्गदर्शिका का विमोचन किया गया। यह मार्गदर्शिका विभिन्न विकेंद्रीकृत और केंद्रीकृत खाद मूल्य श्रृंखला पर व्यापक दिशानिर्देश प्रदान करती है, जिसमें शामिल हैं: • ज़करियापुरा मॉडल- छोटे बायोगैस संयंत्र क्लस्टर- स्लरी प्रसंस्करण केंद्र के साथ • वाराणसी मॉडल- डेयरी संयंत्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर बायोगैस संयंत्र • बनास मॉडल- गोबर आधारित कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र इसमें कुशल खाद संग्रह और प्रसंस्करण प्रणाली, बायोगैस और सर्कुलर डेयरी प्रथाओं के लिए वित्तीय एवं व्यावसायिक मॉडल और मिट्टी के स्वास्थ्य एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाएँ शामिल हैं।

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