दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े और सबसे अहम चुनाव में सच के ऊपर झूठ का, असली के ऊपर नकली का साया मंडरा रहा, इस झूठ और फर्जीवाड़े को संभव बनाती है एआइ और डीपफेक की तेज विकसित होती तकनीक और कई टेक्नोलॉजी कंपनियां, क्या हैं खतरे
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद हर राज्य, हर पार्टी अपने स्तर पर उत्साह से लोकतंत्र के इस उत्सव की तैयारी में व्यस्त है, सिवाय जम्मू-कश्मीर के लोगों के
दस सीटों पर जीत को दुहराना भाजपा के लिए मुश्किल
भाजपा पाला बदलवा रही, कांग्रेस घर-घर पहुंचकर प्रचार में जुटी
एआइ से कामकाज की दक्षता बढ़ सकती है और प्रशासनिक खर्च कम हो सकता है
डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल दुनिया भर के चुनावों में किया जाने लगा है। राजनैतिक पार्टियां डीपफेक बनाने वाली कंपनियों से करार कर रही हैं। देश में भी कंपनी ‘द इंडियन डीपफेकर’ पिछले विधानसभा चुनावों में कई पार्टियों के लिए डीपफेक बना चुकी है और लोकसभा चुनाव में भी कुछ पार्टियों के साथ काम कर रही है। आउटलुक के राजीव नयन चतुर्वेदी ने उसके संस्थापक 30 वर्षीय दिव्येंद्र सिंह जादौन से डीपफेक टेक्नोलॉजी और उसके राजनैतिक इस्तेमाल जैसे मुद्दों पर बातचीत की।
डीपफेक वीडियो इतने एडवांस हो चुके हैं कि एक आम आदमी के लिए इसे पकड़ना लगभग नामुमकिन-सा है
डब्लूपीएल ने साबित किया कि महिला क्रिकेट का दौर बदस्तूर आ गया है
खास राजनैतिक चाशनी में पिरोई कई फिल्मों ने धांसू कारोबार करके चौंकाया
एकाधिक फिल्मकारों ने क्यूबा के अंतहीन युद्ध की ‘अदृश्य संभावनाओं’ को अपनी विधा में उजागर किया
मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी, कांग्रेस के बैंक खातों पर रोक से चुनाव के दौरान विपक्ष की घेराबंदी के उठे सवाल
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हवा की गुणवत्ता पर सूची जारी होने के बाद प्रदूषित होते छोटे शहरों की चिंता के बजाय आरोप-प्रत्यारोप शुरू
सुप्रीम कोर्ट के जोर से सामने आए चुनावी चंदा के आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर कारोबारी क्षेत्र की कंपनी का सत्तारूढ़ दल सहित अन्य पार्टियों के साथ सीधा लेना-देना है, जिसकी कीमत नागरिकों को चुकानी पड़ रही है
एक सांस्कृतिक कार्यकर्ता होने के नाते मैं भी सामाजिक न्याय से जुड़े ऐसे आंदोलनों के साथ जुड़ गया। मैंने फर्जी गिरफ्तारियों पर अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी। इसी के कारण मुझे गिरफ्तार किया गया
पिछले कुछ वर्षों से कई मानवाधिकार संगठन दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर गोकरकोंडा नागा (जी.एन.) साईबाबा की रिहाई की मांग कर रहे थे
अब महज बाहुबल के सहारे चुनाव नहीं जीता जा सकता। उम्मीदवारों के चयन के दौरान इस बात को उन दलों को समझना होगा जो लगता है, पुराने दौर के हैंगओवर से अब तक उबर नहीं पाए हैं