Advertisement
24 जून 2024 · JUN 24 , 2024

जनादेश ’24 /महाराष्ट्र: जोड़तोड़ का जवाब वोट से

भाजपा की हरकतों से आजिज मतदाताओं का जनादेश
कद बढ़ाः उद्धव ठाकरे और शरद पवार

इस बार के लोकसभा चुनाव के परिणाम ने राजनीतिक दलों से लेकर चुनावी विश्लेषकों तक को चौंकाया है। भारतीय जनता पार्टी का बहुमत के जादुई आंकड़े को न छू पाने को अभी तक डिकोड नहीं किया जा सका है, लेकिन इसके स्रोत स्पष्ट हैं। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के मतदाताओं ने भाजपा की राह में मुश्किल पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाई है। राजनीतिक समीक्षकों का लोकप्रिय जुमला रहा है कि राष्ट्रीय राजनीति का रास्ता उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से होकर जाता है। लोकसभा सीटों के आधार पर ये दो राज्य सबसे अग्रणी हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र के नतीजे सभी को आश्चर्य में डालने के लिए काफी हैं।

चार जून को घोषित चुनाव परिणाम महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए शानदार रहा। पार्टी ने प्रदेश की 48 में से 13 सीटों पर जीत दर्ज की। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन इससे ज्यादा सुकून देने वाला परिणाम उद्धव ठाकरे के लिए आया जिनके नेतृत्व वाली शिवसेना के गुट ने नौ सीटों पर शानदार सफलता पाई। शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने आठ सीटें जीत कर अपना दबदबा कम नहीं होने दिया। इस तरह उनके महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने कुल 30 सीटों पर जीत दर्ज कर के भाजपा के 400 पार के गुब्बारे में सुई चुभोने का काम किया। महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने तीसरी बार बहुमत के मोदी के सपने को साकार होने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

महाविकास अघाड़ी के इस शानदार प्रदर्शन के पीछे कुछ विशेष कारण रहे हैं। पहला, महाराष्ट्र की जनता का ‘जोड़ तोड़’ की राजनीति से मन पूरी तरह ऊब चुका था और उनमें इसके प्रति नाराजगी थी। महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बहुत जोड़तोड़ हुई थी। उद्धव ठाकरे की पार्टी को एकनाथ शिंदे की मदद से भाजपा ने तोड़ दिया था। बाद में राकांपा प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच दरार पैदा की गई। दोनों के रिश्तों में तनाव के कारण राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी दो फाड़ हो गई। एकनाथ शिंदे ने कोर्ट के रास्ते शिवसेना पर कब्जा किया और भाजपा के साथ सरकार बना ली। महाराष्ट्र की जनता ने यह सब देखा और उसे यह हरकत बिलकुल रास नहीं आई।

इस चुनाव परिणाम से जाहिर हो गया कि महाराष्ट्र की जनता को गलत अभ्यास का सबक सिखाना अच्छी तरह आता है। इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान नरेन्द्र मोदी ने शरद पवार और उद्धव ठाकरे की व्यक्तिगत आलोचना भी की थी। नरेन्द्र मोदी ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए भटकती आत्मा, नकली बच्चा जैसे जुमलों का इस्तेमाल किया। इस रवैये से जनता के अंदर पवार-ठाकरे के प्रति सहानुभूति बढ़ गई। यही सहानुभूति चुनाव परिणामों में साफ-साफ देखने को मिली।

महाविकास अघाड़ी गठबंधन के शानदार प्रदर्शन का दूसरा कारण प्रदेश में नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का घटना भी रहा। महाराष्ट्र में इस बार चुनाव मोदी के इर्द-गिर्द केंद्रित नहीं था। 2014 और 2019 में जो मोदी लहर थी, वह इस बार गायब थी। नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में रिकॉर्ड रैलियां कीं, लेकिन इसका नतीजों पर कोई  खास असर नहीं पड़ा।

तीसरा बड़ा कारण जो महाविकास अघाड़ी के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार रहा, वह था भाजपा के प्रति महाराष्ट्र के किसानों का रोष। पिछले कुछ महीनों से उत्तर महाराष्ट्र में प्याज का मुद्दा छाया हुआ था। मराठवाड़ा और विदर्भ में कपास और सोयाबीन के मुद्दे पर चर्चा चल रही थी। निर्यात प्रतिबंध के खिलाफ भी किसानों में भारी गुस्सा था। यह गुस्सा एक साथ इन चुनावों में निकल के बाहर आ गया। महाविकास अघाड़ी ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संविधान और किसानों का विरोधी बताया। गठबंधन के इस दावे को भाजपा झूठा साबित करने में नाकाम रही।

महाविकास अघाड़ी ने मराठा-दलित-मुस्लिम को एक साथ साधने में सफलता हासिल की। आरक्षण के लिए जो मराठा आंदोलन हुआ, उसका सीधा फायदा भी महाविकास अघाड़ी को ही हुआ। महाविकास अघाड़ी मुस्लिम मतदाताओं को अपनी तरफ करने में सफल रही। संविधान और आरक्षण के मुद्दे के कारण दलित मतदाता भी उसके पीछे एकजुट दिखा।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  翻译: