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24 जून 2024 · JUN 24 , 2024

जनादेश ’24/पूर्वोत्तर: उलटी गिनती शुरू

हिंदुत्व कार्ड खेलने के बाद भी भाजपा के लिए नतीजे नहीं बदले
मणिपुर के शरणा र्थी शिवि र में राहुल गांधी

असम के मुख्य‍मंत्री हेमंता बिस्वा  सरमा ने अपना चुनाव प्रचार अभियान खुलकर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के नाम पर चलाया, इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी पिछली बार की नौ सीट को दोहरे अंक में नहीं बदल पाई और भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) दस से ग्यारह सीट पर ही आकर रुक गया। भाजपा के अलावा एक-एक सीट असम गण परिषद और युनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल को मिली है।

असम में कांग्रेस का कांटा भी जस का तस रहा, हालांकि सूबे में उसके बड़े नेता गौरव गोगोई की जीत का बड़ा मार्जिन बताता है कि भविष्य में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार की गुंजाइश है। करीमगंज की सीट कांग्रेस ने 18,000 के मामूली अंतर से गंवा दी। वहां भाजपा के साथ लड़ाई कांटे की थी।

असम में यथास्थिति कायम रखने के साथ भाजपा ने त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश की दो-दो सीटों पर जीत हासिल की है। इससे उत्तर-पूर्व में भाजपा की कुल 13 सीटें और एनडीए की 15 सीटें हो गई हैं, हालांकि 2019 में जीती 18 सीटों से आंकड़ा कम हुआ है। सात राज्यों के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में लोकसभा की कुल 24 सीटें हैं, जिनमें अकेले असम में 14 सीटें हैं। भाजपा अब इस क्षेत्र में तकरीबन आधे पर सिमट गई है।

असम, त्रिपुरा और अरुणाचल को छोड़ दें, तो बाकी चार राज्यों मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में हुआ नुकसान भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। साल भर से ज्यादा समय से जातीय हिंसा को झेल रहे मणिपुर में भाजपा का प्रदर्शन उसके लिए सदमे की तरह है। यहां की दोनों सीटों पर कांग्रेस बड़े मार्जिन से जीती है। दिलचस्प है कि कांग्रेस की जीती दोनों सीटों में एक मैती बहुल इनर मणिपुर की सीट है, तो दूसरी नगा और कुकी बहुल आउटर मणिपुर की सीट है। यहां जातीय लड़ाई इन्हीं दोनों जनजातियों के बीच है।

मणिपुर का चुनावी नतीजा भाजपा के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार के लिए संकट लेकर आ सकता है। इन नतीजों को भाजपा की सरकार में लोगों की खत्म हुई आस्था के रूप में देखा जा रहा है।

नगालैंड की इकलौती लोकसभा सीट भी कांग्रेस ने एनडीए के घटक दल नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीडीपी) से छीन ली है। मेघालय में भी भाजपा के घटक दल नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को झटका लगा है, जहां तूरा सीट कांग्रेस जीत गई, तो नवनिर्मित वॉयस ऑफ पीपुल पार्टी (वीओपी) ने शिलांग में एनपीपी को हरा दिया। मिजोरम में जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने इकलौती लोकसभा सीट मिजो नेशनल फ्रंट को हराकर जीत ली है। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी का वोट भाजपा प्रत्याशी से तीन गुना है। वीओपी और जेडपीएम, दोनों ही इंडिया और एनडीए गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।

असम के चुनाव में एक बड़ी बात यह देखने में आई कि बंगाली मुसलमानों का वोट कांग्रेस की तरफ एकजुट हुआ। 2009 से देखा जा रहा था कि बंगाली मुसलमानों का बड़ा हिस्सा- जो राज्य की आबादी में 30 प्रतिशत से ज्यादा है- इत्र कारोबारी बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआइयूडीएफ) के साथ चला जाता था। इस चुनाव में यह रुझान पलट गया है। अजमल के गढ़ ढुबरी में कांग्रेस ने एआइयूडीएफ के प्रत्याशी को रिकॉर्ड मार्जिन से मात दे दी है।  

ढुबरी में जीत का मार्जिन राष्ट्रीय रिकॉर्ड है, जहां तीन बार के सांसद अजमल कांग्रेस के रकीबुल हुसैन के हाथों 10 लाख से ज्यादा वोटों से हारे हैं। इसी के साथ अजमल की पार्टी का वोट प्रतिशत बंगाली मुसलमान बहुल सभी सीटों पर गिरा है- नगांव, बरपेटा, करीमगंज और दरांग-उदलगिरि। 

जोरहाट से गौरव गोगोई की जीत अहम है। इसने ऊपरी असम में कांग्रेस का रास्ता खोल दिया है, जो 2016 से ही भाजपा का गढ़ बना हुआ है। प्रचार अभियान के दौरान विपक्ष ने गोगोई को दिल्ली में असम की आवाज के रूप में प्रचारित किया। ऐसा लगता है कि स्थानीय लोगों में इसकी अपील हुई है।

राजनीतिक जानकारों की मानें, तो कांग्रेस यदि असम जातीय परिषद और राइजोर जैसे छोटे दलों के साथ अपना गठजोड़ कायम रखती है, तो ऊपरी असम में विपक्ष अपना प्रभाव जमाने में कामयाब हो सकता है जहां अहोमी जातीय अस्मिता बहुत प्रबल रही है।

हेमंता बिस्वा सरमा ने एनडीए के असम में प्रदर्शन के पीछे अपने कार्यकाल के पिछले तीन साल के दौरान असम रूपांतरण को गिनवाया। उन्होंने इसका श्रेय मोदी की केंद्र सरकार को नहीं दिया। 

सरमा लोकसभा के नतीजों को विधानसभा की कुल 126 सीटों में से 90 पर एनडीए की बढ़त के तौर पर देख रहे हैं, जो 2021 के असेंबली चुनावों के मुकाबले बेहतर है, जब एनडीए को 75 सीटें मिली थीं। उधर कांग्रेस के नेता जयराम रमेश का मानना है कि गोगोई के प्रदर्शन ने सरमा की उलटी गिनती शुरू कर दी है। असम में असेंबली चुनाव 2026 में होने हैं। 

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