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27 मई 2024 · MAY 27 , 2024

कारोबारः ईवी बिक्री की धीमी रफ्तार

कीमतें घटने के बावजूद इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी
ईवी कार अभी दूर की कौड़ी

जब टेस्ला के सीईओ एलॉन मस्क 2019 में अत्याधुनिक साइबर ट्रक के साथ दुनिया के सामने आए, तो ऑटो उद्योग में एक नए युग की शुरुआत हुई। इस एक कदम ने ऑटोमोटिव जगत का ध्यान यात्री इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने की संभावना की ओर आकर्षित किया। उस समय तक, ईवी को मुख्य रूप से परिवहन के सार्वजनिक साधनों के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। जैसे-जैसे नीतियां पर्यावरण अनुकूल होती गईं, दुनिया भर के प्रमुख वाहन निर्माताओं ने संकेत दिया कि वे 2030 तक ईवी या हाइब्रिड वाहनों का ही निर्माण करेंगे।

भारत में ईवी का सफर रेवा के साथ शुरू हुआ, जिसे 2001 में लॉन्च किया गया था। नौ साल बाद ऑटो दिग्‍गज महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमएंडएम) के अधिग्रहण और कुछ साल बाद एक नए लॉन्च के बाद भी ईवी को लेकर सार्वजनिक प्रतिक्रिया धीमी ही रही। लेकिन अब चीजें बहुत बदल गई हैं। लोगों की ईवी सेगमेंट में दिलचस्पी बढ़ी है। भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स ने ईवी उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की है, जिसमें एसयूवी, सेडान और छोटे मॉडल को ईवी के रूप में लॉन्च किया गया है। टाटा के मौजूदा ईवी मॉडल नेक्सॉन, पंच, टियागो, टिगोर लाइन-अप में हैं।

हालांकि कुछ अन्य वाहन निर्माता हाल में ईवी बनाने में जुट गए हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर की कीमत अधिक है। हुंडई ने आईओएनआईक्यू 5 की कीमत 45.95 लाख रुपये, एक्स-शोरूम मुंबई और कोना की कीमत 25.30 लाख रुपये (एक्स-शोरूम इंडिया) रखी गई है। वाहन निर्माता कंपनी किआ मोटर्स की ईवी 6 की मुंबई में एक्स-शोरूम कीमत 60.95 लाख रुपये से अधिक है। एमजी मोटर्स के दो मॉडल हैं, एमजी कॉमेट और एमजी जेडएस ईवी, जिनकी कीमत बेस वर्जन के लिए 6.98 लाख और 18.98 लाख (एक्स-शोरूम, मुंबई में कीमत) है।

महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के पास एक ईवी मॉडल, एक्सयूवी 400 है, जिसकी कीमत 15.49 लाख रुपये, (एक्स-शोरूम मुंबई) से अधिक है। उनकी इस साल कुछ और भी गाड़ियां लॉन्च करने की योजना है। भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी साल के अंत तक 20 लाख और उससे अधिक कीमत वाली ईवी सेगमेंट में कुछ लॉन्च करने की योजना बना रही है।

संयोग से, भारत में चार पहिया ईवी वाहनों की बिक्री के आंकड़े पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। ईवी वाहनों की बिक्री में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 5,154 इकाइयों से वित्त वर्ष 22 में 18,622 इकाइयों से वित्त वर्ष 23 में 47,499 इकाइयों तक का इजाफा हुआ है। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 24 के लिए अप्रैल-फरवरी का आंकड़ा 81,114 है, जो वित्त वर्ष 23 के आंकड़ों से लगभग दोगुना है। इसके अतिरिक्त दोपहिया ईवी वाहनों की बिक्री में और भी अधिक अंतर आया है।

कीमत अब भी चुनौती

हालाकि वाहन निर्माताओं ने हाल ही में ईवी पर कीमतें कम की हैं, फिर भी उनकी कीमत उनके पेट्रोल या डीजल संस्करणों की तुलना में बहुत अधिक है। टाटा मोटर्स ने अपनी लोकप्रिय नेक्सॉन ईवी की कीमत 1.20 लाख रुपये तक कम कर दी है, लेकिन नेक्सॉन के पेट्रोल और डीजल संस्करण अभी भी लगभग 5 लाख तक सस्ते हैं। इसके एक अन्य लोकप्रिय ईवी मॉडल, टियागो के बेस मॉडल की कीमत 7.99 लाख रुपये है, जबकि टॉप-एंड की कीमत 11.89 लाख रुपये, एक्स-शोरूम मुंबई है। टाटा मोटर्स ने हाल ही में इस मॉडल की कीमत में 70,000 रुपये की कटौती की है। इसके विपरीत, बेस पेट्रोल संस्करण 5.64 लाख में आता है, जबकि टॉप-एंड पेट्रोल की कीमत 7.29 लाख है, जो बेस ईवी मॉडल से भी कम है। टाटा मोटर्स का पंच भी पेट्रोल संस्करण के लिए 6,12,900, एक्स-शोरूम मुंबई में आता है, जबकि पंच ईवी के बेस संस्करण की कीमत ही 10.99 लाख से अधिक है।

दो दरवाजों और चार सीटों वाली एमजी कॉमेट की कीमत बेस मॉडल के लिए 6.98 लाख रुपये, एक्स-शोरूम मुंबई है, जबकि चार बड़े दरवाजों वाली मारुति वैगन आर की कीमत 5.54 लाख, एक्स-शोरूम मुंबई है। बेशक, यह सवाल भी है कि वाहन एक बार चार्ज करने पर कितने किलोमीटर तक चल सकता है। एमजी कॉमेट के लिए, कंपनी 17.3 किलोमीटर प्रति घंटा बैटरी के एक बार चार्ज होने पर 230 किमी चलने का दावा करती है।

कीमत की तुलना

वाहनों के लिए स्वायत्त ड्राइविंग तकनीक विकसित करने वाली तकनीकी फर्म माइनस जीरो के उपाध्यक्ष सूरज घोष का कहना है कि यूं तो वाहन निर्माताओं ने ‘‘बिक्री बढ़ाने के लिए अपने प्रारंभिक स्तर के मॉडलों की कीमतें कम कर दी हैं, लेकिन मांग उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी है।’’

ऐसे परिदृश्य में, जहां प्रश्न हो कि ग्राहक को इलेक्ट्रिक कार चुननी चाहिए या पारंपरिक ईंधन से चलने वाली कार जारी रखनी चाहिए,  एक अंदाजा देने के लिए हमने प्रति माह 1,500 किमी की गाड़ी चलने की गणना की, जिससे लागत की तुलना की जा सके।

हमारे शोध से पता चलता है कि पहले चार वर्षों में ईवी मॉडल पेट्रोल और डीजल से अधिक महंगे होते हैं। उसके बाद के वर्षों में, ईवी मॉडल की कुल लागत पेट्रोल और डीजल,दोनों कारों की तुलना में कम हो जाती है। गणना के दौरान माना जाता है कि आप बैटरी को एक बार भी नहीं बदलते हैं और ऐसे होने की संभावना नहीं है। लेकिन चार वर्षों में आपको बैटरी बदलनी ही पड़ती है।

आपको बैटरी कब बदलनी चाहिए? यह बैटरी, चार्जिंग चक्रों की संख्या, बाहरी तापमान और ड्राइविंग शैली पर निर्भर करता है। उच्च गति, एयर कंडीशनिंग, हीटिंग आदि का उपयोग कार की सीमा को प्रभावित करेगा और अधिक बार रिचार्ज की आवश्यकता होगी।

सूरज घोष कहते हैं, ‘‘यह निर्धारित करने के लिए कोई परीक्षण नहीं है कि बैटरी कितनी चलेगी। कार निर्माताओं का दावा है कि मूल निर्माता (ओईएम) की बैटरियां अपने दावे किए गए समय तक चलेंगी। लेकिन अगर बैटरियां इससे पहले कमजोर हो भी जाती हैं, तो भी वह 70-80 प्रतिशत दक्षता पर काम करेंगी। मान लीजिए कि आप पांचवें वर्ष में बैटरी बदलने जाते हैं, तो आपकी पेट्रोल और डीजल कार क्रमशः आठवें और नौवें वर्ष में ईवी से पिछड़ जाएंगी। लेकिन यदि आप नौवें वर्ष में एक और बैटरी बदलने के लिए जाते हैं, तो आपका ईवी मॉडल 10 वर्षों की दौड़ में पीछे हो जाएगा। हालांकि एक और वर्ष (11वां वर्ष) जोड़ें तो ईवी मॉडल की कुल स्वामित्व लागत पेट्रोल संस्करण की तुलना में सस्ती होगी।

इसलिए यह 50-50 वाली स्थिति है। ईवी की कीमत में कटौती ने खरीदारों को पेट्रोल या डीजल कारों की तुलना में ईवी को निर्णायक रूप से चुनने के लिए उत्साहित नहीं किया है। ईवी की कीमत अभी पेट्रोल या डीजल में से किसी एक से अधिक है। सूरज घोष कहते हैं, ‘‘अधिक कीमत, ईवी को व्यापक रूप से अपनाने में बाधा बनी हुई है।’’ हालांकि, निकट भविष्य में चीजें बदल सकती हैं। ईवी की बैटरी दक्षता अच्छी है। लंबी बैटरी लाइफ से ईवी वाहन की लागत कम हो जाएगी। दूसरा कारक सार्वजनिक चार्जिंग सुविधाओं की संख्या में वृद्धि होगी। जितनी सार्वजनिक चार्जिंग सुविधाएं होंगी, ईवी वाहनों का उतना विस्तार होगा।

नीति आयोग की ई-अमृत वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत में देश भर में फैले 934 सक्रिय सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों का एक सक्रिय नेटवर्क है। इसकी तुलना में, देश भर में लगभग 70,000 पेट्रोल और डीजल जीवाश्म ईंधन पंप हैं।

बिजली और ऊर्जा प्रबंधन कंपनी डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स के बिजनेस हेड-ईवी चार्जिंग और फोटोवोल्टिक इन्वर्टर डिवीजन, मनुजा गिरीश कहते हैं, ‘‘चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी एक गंभीर बाधा बनी हुई है। शहरी क्षेत्रों में अपर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एक समस्या है क्योंकि कई संभावित ईवी मालिकों के पास घरेलू चार्जिंग विकल्पों की कमी है।’’ इसके अलावा, अंतर-शहर राजमार्गों और प्रमुख यात्रा मार्गों पर अपर्याप्त चार्जिंग बुनियादी ढांचा लंबी दूरी की ईवी यात्रा की संभावना को प्रतिबंधित करता है। यह ईवी वाहन पर स्विच करने की दिशा में एक बाधा के रूप में भी कार्य करता है।

सूरज घोष कहते हैं, ‘‘हालांकि ईवी का बुनियादी ढांचा बढ़ रहा है, लेकिन यह उस स्तर तक अभी नहीं पहुंचा है, जहां कार खरीदार अन्य ईंधन विकल्पों पर विचार किए बिना ईवी खरीदेंगे।’’

अगर आप आइजैक असिमोव, एचजी वेल्स या मेटावर्स शब्द गढ़ने वाले अमेरिकी लेखक नील स्टीफेंसन के किसी भी काम के पन्ने पलटेंगे या इस विषय पर बनी फिल्मों को देखेंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश वाहनों का जिस तरह से पन्नों या सिल्वर स्क्रीन पर वर्णन किया गया है, उसमें कुछ सामान्य लक्षण प्रदर्शित होते हैं। वे आम तौर पर बिजली या अक्षय ऊर्जा के अन्य रूपों पर चलते हैं और आम तौर पर स्टील, ग्रे या सिल्वर रंग के होते हैं। सवाल तो यह है कि क्या टेस्ला साइबरट्रक परिवहन के भविष्यवादी तरीके के दरवाजे पर एक लौकिक दस्तक थी? ऐसा लगता है कि अभी कुछ और समय तक ईवी वाहनों की लागत, इसके विस्तार में एक बाधा की तरह बनी रहेगी।

(आउटलुक मनी से साभार)

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